गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

बस ऐसी ही हूँ मैं .....


हाँ ! 
इस सच को 
मानती हूँ 
और
जानती भी हूँ 
कि 
सब को
सब कुछ 
न कभी मिला है 
और
न ही 
कभी मिलेगा 
तब भी 
जो भी 
जितना भी 
मेरा है 
उसको तो
कभी कहीं 
जाने भी तो 
नहीं दे सकती 
बस ऐसी ही हूँ मैं ..... निवेदिता 

17 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी ही रहना......
    जो भी जितना भी तुम्हारा है वो तुमसे दूर जाएगा भी नहीं :-)
    बहुत प्यारी पंक्तियाँ.
    सस्नेह
    अनु

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  2. जितना भी
    मेरा है
    उसको तो
    कभी कहीं
    जाने भी तो
    नहीं दे सकती
    बस ऐसी ही हूँ मैं ..

    प्रेम ही अधिकार देता है ....सुंदर पंक्तियाँ निवेदिता जी ...!!

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  3. ऐसे ही तो होना भी चाहिए.
    वैसे जो अपना है वो कहीं जाता भी नहीं :).

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  4. जैसी हो वैसी ही रहो दी ...:) जो अपना है वो अपना ही रहता है,कहीं नहीं जाता...

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (06-12-2013) को "विचारों की श्रंखला" (चर्चा मंचःअंक-1453)
    पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. कल 07/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  7. जो मिल गया उसकू नहीं छोड़ना चाहिए ... कभी भी नहीं ...

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  8. यही तो पूँजी है एक व्यक्ति की.. न उसे छोडना, न उसको बदलना!!

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  9. ऐसी ही रहें, वही अच्छा है। आदर्शों का बोझ बहुत अधिक होता है।

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