रविवार, 31 मई 2015

गंगासागर बना दिया …

चाहतें तो सभी की 
बहुत सी होती हैं 
मेरी भी है 
पर बहुत ही 
छोटी छोटी सी  
ख़ता की है 
तुम्हारी पड़ी हुई 
एक नामालूम सी निगाह ने 
मेरी छोटी सी 
खुशियों की चाहत को 
इतना बड़ा बना दिया 
सारी दुनिया को सागर 
अपनी निगाह को 
गंगासागर  बना दिया  … निवेदिता 
  


बुधवार, 6 मई 2015

दुआओं का सिलसिला ......


टूटते सितारे को देख

दुआ में निगाहें उठी 

कुछ चाहते भी थमी ,

नन्ही सी स्मित

पुरवाई सी लहरायी ,

रौशन हुई निगाहें

इक आस सी जगी 

टूटते सितारे में भी 

दुआ तलाशती इन 

दुआओं का सिलसिला 

अशेष हो ......... निवेदिता