शनिवार, 14 मई 2016

छुम छन्नन्न छुम छन्नन्न ...........



कुछ लम्हे यूँ ही चुरा लूँ वक़्त से 
कभी साज़ से कभी आवाज़ से
कहीं रंगों सी रंगीन खिले चमक
कहीं बच्चों के खिलौनों सी हो
मासूम छुवन .......
तपती दुपहरी में अल्हण सी थिरक
झूमें लरजते बादलों की धड़कन
बादलों में खिले न खिले इंद्रधनुष
मन में कहीं कम न पड़े ये रसरंग
छुम छन्नन्न छुम छन्नन्न ..... निवेदिता

6 टिप्‍पणियां: