बुधवार, 25 जनवरी 2017

न हो उदास ऐ सनम ........



न हो उदास ऐ सनम 
तेरी उदासी में 
मेरे मन में बसी
खामोश ओस ढलती है 
तेरे लबों की 
हल्की सी थिरकन
मेरी यादों की
घनी धुंध में
सूर्य किरण सी दमकती है ...... निवेदिता

शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

जिंदगी कुछ यूँ भी सँवर जाती ......




तुम्हारे रुखसार पर घिरी 
ये जुल्फें जरा सिमट जातीं 
चांदनी कुछ और निखर जातीं 
ये रात शबनमी यूँ ही बरस जाती 

कभी आँखें छलक जातीं 
कहीं यादें भी बरस जातीं 
लम्हों से क्या शिकवा होता 
जिंदगी कुछ यूँ भी सँवर जाती  ...... निवेदिता